भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 12 जनवरी को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.63 अरब डॉलर बढ़कर 618.94 अरब डॉलर हो गया। इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा का कुल भंडार 5.89 अरब डॉलर की भारी गिरावट के साथ 617.3 अरब डॉलर पर आ गया था।

विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी विदेशी निवेशकों की बढ़ती रुचि के कारण हुई है। इस हफ्ते विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में जमकर खरीदारी की है। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपए की मजबूती भी विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का एक कारण है।

विदेशी मुद्रा भंडार देश की वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह देश को विदेशी आयात के भुगतान के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है।

विदेशी मुद्रा भंडार के घटक

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets): ये विदेशी मुद्रा में रखे गए निवेश हैं, जिनमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड, येन आदि शामिल हैं।
  • सोना का भंडार (Gold Reserves): ये सोने के रूप में रखे गए निवेश हैं।
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights): ये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी किए गए मुद्रा कोष हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास आरक्षित जमा (Reserve Tranche Position with IMF): ये अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के पास भारत के आरक्षित जमा हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व

विदेशी मुद्रा भंडार देश की वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह देश को विदेशी आयात के भुगतान के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा भंडार देश की वित्तीय स्थिरता को भी बनाए रखने में मदद करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का अर्थ है कि देश के पास विदेशी मुद्रा में अधिक निवेश है। इससे देश की वित्तीय स्थिति मजबूत होती है और विदेशी आयात के भुगतान में आसानी होती है।

विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का अर्थ है कि देश के पास विदेशी मुद्रा में कम निवेश है। इससे देश की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है और विदेशी आयात के भुगतान में कठिनाई हो सकती है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के भविष्य पर नजर

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भविष्य में भी बढ़ने की संभावना है। इसका कारण यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा, भारत में विदेशी निवेश की मात्रा भी बढ़ रही है।

हालांकि, भारत को अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविध बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। इसका कारण यह है कि वर्तमान में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर में निवेशित है। यदि डॉलर की कीमत में गिरावट आती है, तो इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का मूल्य भी प्रभावित होगा।

भारत को अपने विदेशी मुद्रा भंडार को यूरो, पाउंड, येन आदि अन्य मुद्राओं में भी निवेश करना चाहिए। इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है।

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