हिमाचल प्रदेश: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अभी और समय तक आरिएर्स का इंतजार करना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने बताया कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में समय लग रहा है, लेकिन यह कुछ समय तक हो सकता है।

FAQs:

Q1: हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए आरिएर्स की स्थिति क्या है?

A1: छठे वेतन आयोग के अनुसार नगर निगम, नगर परिषद्, और नगर पंचायत के पेंशनर कर्मचारियों के लिए आरिएर का मामला अभी सरकार के विचाराधीन है।

Q2: हिमाचल प्रदेश में आरिएर्स के लिए कितना बकाया है?

A2: छठे वेतन आयोग के अनुसार, प्रदेश में कर्मचारियों और पेंशनधारियों को 10,000 करोड़ से अधिक का भुगतान करना है।

Q3: आरिएर्स का वितरण कब हो सकता है?

A3: मुख्यमंत्री ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के कारण आरिएर्स का वितरण एक या दो वर्ष तक समय लग सकता है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने विधायक राजेंदर राणा के सवाल के जवाब में बताया कि सरकार नगर निगम, नगर परिषद्, और नगर पंचायत के पेंशनर कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग के अनुसार आरिएर का मामला अभी सरकार के विचाराधीन है।

सवालकर्ता ने जानना चाहा कि प्रदेश में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कितना बकाया है, तो मुख्यमंत्री ने बताया कि सारे कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए 10,000 करोड़ से अधिक का भुगतान करना है। उन्होंने जताया कि मौजूदा आर्थिक स्थितियों के चलते आरिएर्स का वितरण एक या दो वर्ष तक का समय लग सकता है।

मुख्यमंत्री ने ऑपरेशनल पैंशन स्कीम (OPS) के बारे में भी बताया और कहा कि सरकार ने सत्ता में आने के बाद 500 से अधिक पेंशनधारियों को OPS का लाभ पहुंचाना शुरू कर दिया है। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान आर्थिक चुनौतियों के कारण आरिएर्स का वितरण समय लग सकता है।

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखु ने माना कि प्रदेश की आर्थिक पुनर्निर्माण में दो साल तक का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि पूर्व सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकृत किया लेकिन इसके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया था। वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद 126,000 NPS कर्मचारियों को OPS में वापसी दी है।

समाप्ति में, हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए आरिएर्स का इंतजार बना रहता है, जिसपर मुख्यमंत्री ने आर्थिक चुनौतियों को मानते हुए इसे हल करने के लिए कदम उठा रखा है

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