नई दिल्ली: गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम का ऐलान हो चुका है। गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी की बात करें तो ऐतिहासिक जीत दर्ज करने में कामयाब हो चुके हैं। हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों में से 40 पर कांग्रेस ने जीत हासिल किया है। पार्टी को इस बार 43.90 प्रतिशत वोट मिल चुका है। राज्य के अगले मुख्यमंत्री को लेकर सुखविंदर सिंह सुखू, मुकेश अग्निहोत्री और प्रतिभा सिंह का नाम रेस में बना हुआ है।
पुरानी पेंशन को लागू करना होता है अहम चुनौती
सूबे की कुर्सी संभालने की बात करें तो मुख्यमंत्री के सामने पुरानी पेंशन योजना लागू करने भी एक अहम चुनौती समझा जा रहा है। यह तय कहा जा रहा है कि कांग्रेस सरकार का गठन के साथ राज्य के सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) का तोहफा मिलने जा रहा है। दरअसल, कांग्रेस ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के समय ‘पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया गया था।
इसकी संभावना अधिक हो जाती है क्योंकि क्योंकि कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना काफी समय पहले से भी लागू कर दी गई थी। पार्टी ने सत्ता में आने पर गुजरात और हिमाचल में इसको लागू करने का आश्वासन दिया गय था। नई गठित होने वाली हिमाचल सरकार इस वादे पर अमल करती है तो सरकार के लिए वित्तीय प्रबंधन अहम चुनौती समझा जा रहा है। राज्य सरकार के ऊपर पहले से ही करीब 70 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है।
वित्तीय वर्ष में 5000 करोड़ से अधिक का हो चुका है कर्ज
सितंबर 2022 के दौरान हिमाचल सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से 2500 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का कार्य किया था। इससे पहले जुलाई में बात करें तो 1000 करोड़ और अगस्त में 1500 करोड़ रुपये का कर्ज राज्य सरकार की तरफ से लिया गया था। इस तरह मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान देखा जाए तो हिमाचल सरकार ने 5000 करोड़ का कर्ज प्राप्त कर लिया था। सरकार पर पहले से ही 62,200 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बना लिया था। ताजा आंकड़ों के आधाार पर देखा जाए तो राज्य सरकार पर करीब 70,000 करोड़ का कर्ज लग चुका है। ऐसे में पुरानी पेंशन योजना को लागू करना भी एक अहम चुनौती ही माना जा रहा है।