नई दिल्ली: सरकारी कर्मचारियों को लेकर देखा जाए तो लगातार पेंशन बहाल करने को लेकर जानकारी मिल रही है। कई राज्यों की तरफ से ये बहाल की गई है वहीं कुछ इसको बहाल करने की योजना बना रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने इस पेंशन को बहाल करने को लेकर मना कर दिया था।
केंद्र की तरफ से लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया भी गया है कि कई सारे राज्यों की तऱफ से पेंशन बहाल करने को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है। एनपीएस (NPS) के पैसे वापसी को लेकर कोई प्रावधान नहीं मिल है।
इन राज्यों में बहाल करने का लिया था फैसला
आपको बता दें कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने को लेकर फैसला लिया गया है। जबकि हिमाचल प्रदेश की बात करे तो इसको लागू करने का फैसला किया गया था। पंजाब में इसको बहाल किया गया है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा जब राज्य भी आगे बढ़ने वाला है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से देश के बहुत सारे राज्यों ने पेंशन योजना की बहाली को लेकर घोषणा कर दिया था।
सरकारों के लिए अहम देनदारियां होगी पैदा
उन्होंने जानकारी दिया है कि, ‘पुरानी पेंशन योजना में जाना शर्मनाक, गैर-सैद्धांतिक और अनैतिक होगा क्योंकि इससे भविष्य की सरकारों के लिए महत्वपूर्ण देनदारियां को पैदा करने का फैसला लिया जा सकता है।
उनके आर्थिक प्रदर्शन पर कुछ हद तक प्रभाव होने जा रहा है’ मोदी ने बताया है कि आने वाली पीढ़ी को लेकर बोझ पड़े, यह बिल्कुल भी उचित नहीं माना जा सकता है।
उन्होंने आगे बताया है कि ‘इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि पुरानी पेंशन योजना के भूत को जगाने की मत जगाइए. यह बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। हम पूरे देश को संकट में डाल सकता है। मोदी ने बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना देश में शुरु हो गई थी। उस समय सभी राज्यों को एक मंच पर लाने को लेकर कार्य किया गया था।
उन्होंने आगे बताया है कि समय पांच लाख 76 हजार करोड़ रुपये की बात करें तो, प्रत्येक वर्ष केवल पेंशन के रूप में राज्यों और केंद्र को भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश अपने कुल राजस्व का 80 प्रतिशत केवल पेंशन पर रहता है। 60 प्रतिशत और पंजाब का 34 प्रतिशत पेंशन पर व्यय देना रहता है।